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ईर्ष्या / कविता कानन / रंजना वर्मा
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जलन ही
स्वभाव है
इस ईर्ष्या का।
जला देती है उसे
जिस के प्रति
की जाये
और उसे भी
जिसके मन मे जन्म ले।
इसीलिये
दूरी बनाये रखिये
इस जनम जली
करम जली से
अन्यथा
तिल तिल कर
जला डालेगी
दूभर कर देगी जीवन।