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राजमूर्ति 'सौरभ'
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राजमूर्ति 'सौरभ'
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जन्म | 10 सितम्बर 1958 |
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जन्म स्थान | प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
राजमूर्ति 'सौरभ' / परिचय |
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- आँखों में जब सपने न थे तो टूटने का भय न था / राजमूर्ति ‘सौरभ’
- इंसाँ के जज़्बात देखना / राजमूर्ति ‘सौरभ’
- ग़ुज़रना है उन्हें तूफ़ान होकर / राजमूर्ति ‘सौरभ’
- बेमतलब वो कब खुलते हैं / राजमूर्ति ‘सौरभ’
- जिस्म सन्दल,कारनामे हैं मगर अंगार से। / राजमूर्ति ‘सौरभ’
- सुरमई शाम ढलने को है / राजमूर्ति ‘सौरभ’
- चमकता चेह्रा है किसका सवाल यह भी है / राजमूर्ति ‘सौरभ’
- कुछ लालच कुछ डर बैठा है, / राजमूर्ति ‘सौरभ’
- ये कैसा साधू है, / राजमूर्ति ‘सौरभ’
- खुले-खुले हों पंख हवा के,बाग़ में पंछी गाये तो / राजमूर्ति ‘सौरभ’