भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मनुष्य-कर्तव्य १ / उमानाथ शर्मा पोख्रेल
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:24, 27 मई 2020 का अवतरण
(१)
मानस-सरसी-विकसित
जनहित सित-पदम को माला ।
नरालि पुञ्जको गुञ्जनशाला
योहो आनन्द सन्दूक को ताला ।।
(२)
यस्को अमन्द गन्ध औरस,
औ, रस-माधुरीमा धुरीयर्र ।
नरकुञ्जर अजरामरता करतल गत
गर्न लाउँदैन क्यै वेर ।