हाइकु / रश्मि शर्मा / कविता भट्ट
1
ढलती शाम
याद और तन्हाई
कोई अकेला
ढळदि संध्या
खुद र इकल्वाँस
क्वी च यकुली
2
हौसला ही है
काँधे पर सूरज
उठा रखा है
हौंसला इ च
काँधा माँ बल सुर्ज
उठयूँ इ च
3
गुमशुदा की
याद दिला देती है
वो ही ख़ुशबू
जु लापता कि
खुद तैं लगै देंदी
वी खुसबो च
4
खिड़की, चाँद,
बादल का टुकड़ा
हँसीं है रात
मोरी माँ जून
बादळौ कु टुकड़ा
बिग्रैली रात
5
कैसी अद्भुत
आज रात आई है
चाँद हँसा है
कनी अनोखि
आजै कि रात ऐ च
जून हैंसणी
6
बिना सागर
है तुम्हारा वजूद
तुम नदी हो
बिना समोद्र
च तुमारी साकत
तुम गंगा छैं
7
लबालब है
स्मृतियों की नदी
बाँध टूटेगा
पूरी भरीं च
य खुद की गंगाजी
डाम टुटलु
8
नैनों से होड़
लेने को ही बरसी
देखो ये बूँदें
आँख्यों कि गैल
हड़ातड़ी तैं बर्खि
देखा यु बुन्द
9
जब भी खिले
अमलतास फूल
वो हमें मिले
जब्री खिल्यन
अमलतासा फूल
वु मैं मिल्यन
10
रिहा न करो
आँखों में क़ैद रखो
आँसू समझ
रिया न कौर
आँखों माँ ग्वाड़ी राख
आँसु सम्झीक
11
मद्धिम हवा
फिर से दिला गई
आपकी याद
सुरसुर्या हवा
फीर सि गडै ग्याई
तुमारी याद
12
मन चिड़ियाँ
दुनिया बहेलिया
कौन बचाए
मन प्वथली
संसार च सिकारि
कैन बचौण
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