मोनांगाम्बा / अन्तोनियो जासिन्तो / उज्ज्वल भट्टाचार्य
मोनांगाम्बा – शाब्दिक अर्थ गोरी मौत। अंगोला में गोरे मालिकों के खिलाफ़ प्रतिरोध के एक प्रसिद्ध गीत का उनवान।
फैले हुए विशाल खेत में पानी नहीं बरसता
मेरे माथे से टपकता पसीना फ़सल को सींचता है :
खेत में कॉफ़ी की फ़सल तैयार हो चुकी है
लाल चेरी जैसा उसका रंग
मेरे ख़ून की जमी हुई बूँद की तरह ।
कॉफ़ी भूनी जाएगी ।
कूटकर उसे पीसा जाएगा,
उसका रंग काला हो जाएगा, दिहाड़ी मजूर के बदन सा काला ।
दिहाड़ी मजूर के बदन सा काला !
उस पंछी से पूछो जो गाता है,
कल-कल बहते सोतों से पूछो
और मैदान से आती हवा से पूछो :
कौन भोर होते ही जग उठता है ? किसकी मेहनत है ?
गठरियों को ढोकर
कौन दूर-दूर तक ले जाता है ?
फ़सल की कटाई करता है और मिलती है गाली
सड़ा हुआ मक्का, सड़ी हुई मछली,
पहनने को चीथड़े, पगार में पचास टके
दुबारा खाना माँगने पर मार ?
कौन ?
कौन बाजरा उगाता है
किसकी मेहनत से खिल उठते हैं सन्तरे ?
— कौन ?
मालिक के लिए पैसे कौन लाता है
गाड़ी, मशीन, औरत खरीदने के लिए
और हब्शियों के जिस्म गाड़ी के नीचे कुचलने के लिए ?
किसकी वजह से गोरा आदमी अमीर है,
उसकी तोंद फूलती है – तिजोरी भरती है ?
कौन ?
पूछो उस पंछी से जो गाता है,
कल-कल बहते सोतों से
और मैदान से आती हवा से
जवाब मिलेगा :
- मोनांगाम्बीईईई...
आह ! बस एकबार ताड़ के पेड़ पर चढ़ने दो
पीने दो, मुझे ताड़ी पीने दो
और नशे में भूल जाने दो
- मोनांगाम्बीईईई...
अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य