भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कटघरा / मनजीत टिवाणा / हरप्रीत कौर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:57, 25 सितम्बर 2023 का अवतरण
वे कहते —
तुम्हारा पहली ग़लती, तुम लड़की हो
दूसरी — तुम काली हो
तीसरी — कविता लिखती हो
चौथी — तुम भेड़ियों के शहर में
एक अच्छी बेवक़ूफ़ भेड़ नहीं बन सकी
हमारे देश में
इनमें से एक ग़लती ही
काफ़ी है
ख़ुशियाँ छीनने के लिए...
पंजाबी से अनुवाद : हरप्रीत कौर