भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ख़ुदा मुझको बेवफ़ा करे/ विनय प्रजापति 'नज़र'
Kavita Kosh से
लेखन वर्ष: २००२
ख़ुदा मुझको बेवफ़ा करे
उस पर इक जफ़ा करे
बुझाये इश्क़ो-चराग़ सारे
उसे ख़ुद से ख़फ़ा करे
आये न अश्को-आँच कभी
वो आँखें यूँ नम रखा करे
ख़ुमारे-ग़म की हो बादा
ख़ूब जिसे वो पिया करे
हो हसीं ख़ाब से ख़ौफ़ज़दा
चाहे भी तो न शिफ़ा करे
मिटे न इक वो निशाँ भी
हर ज़ख़्म हरा करे