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निराला के नाम / तुलसी रमण

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महाप्राण !
तुम चिंता मत करना
सही सलामत है
     तुम्हारा भिक्षुक

सुबह-शाम
दफ्तर जाते लौटते
वह मुझे बिला नागा मिलता है
फर्क महज इतना है
आजादी के बाद
कार्ट रोड और लोअर बाजार से
         ऊपर उठकर
कभी-कभार माल रोड पर भी
हिलता-डुलता है
हां, वह तुम्हारी याद दिलाता
हर रोज मिलता है
तेरी जवानी खुश रखे
तेरा बेटा जीये
तेरी तरक्की होवे
तेरी लाटरी निकले
तेरे अफसर खुश होवे
           वगैरह कहकर
समय बोध जतलाता

अपने हरे जख्मों पर से
पपड़ी उतार-उतार चौंकाता
वह मुझे हर रोज मिलता है

बदस्तूर है एकता
पेट और पीठ की
हां, साथ में बच्चे भी हैं
         दो या तीन
फिल्मी अंदाज में
              फैलाते हाथ

महाप्राण ! तुम चिंता मत करना
तुम्हारा भिक्षुक
सही सलामत है
एकदम ताजा है
             तुम्हारी कविता