भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कदम आते हैं / विजयशंकर चतुर्वेदी
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:11, 9 जुलाई 2020 का अवतरण
कदम आते हैं घिसटते हुए
लटपटाते हुए कदम आते हैं
कदम आते हैं बूटदार
खड़ाऊदार कदम आते हैं
कदम आते हैं लहराते हुए
डगमगाते हुए कदम आते हैं
कदम आते हैं सधे हुए
ठहरे हुए कदम आते हैं
कदम आते हैं जमीन पर जमते हुए
जमीन पर जमते हुए कदम जाते हैं।