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आवाज़ दो / रवीन्द्र दास

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आवाज़ दो मुझे

पुकारो मेरा नाम बार-बार

इसी से होता है अहसास

होने का

होता है गुमान

कि नहीं हुआ हूँ गुम

अनजानी गलियों में

तेरी आवाज़ से

हो पाता है यकीन

कि नहीं हुआ हूँ ओझल

अपनी ही नज़रों से

चाहता हूँ

बने रहना अपनी नज़रों में

आवाज़ दो मुझे