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सृष्टि का उत्सव / कविता वाचक्नवी

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सृष्टि का उत्सव

मिट्टी के निर्झर
बस्ती के घर
प्रकृति के गीतों के संस्पर्श
साक्ष्य -
पंछी के नव कलरव
खंड विश्वासों की चट्टान
नर्मदाओं के यशः प्रतीक
जातियों की सुंदर कविता
जयंतों के मनोज्ञ गढ़, झील
व्यथा-विख्यात मनोकौशल
अधजगे गीत, स्वदेशी राग
आस्थाओं की कारुणिक रीति
पलक-माथे के स्नेह-मलाल
अभावों के दर्शक लाचार
झाड़ पोंछों-सा सुख-दुख चक्र
चारपाई के चारों कोण
व्यथाएँ करवट लेतीं मौन
जगत् थकता, सोता, उठता
खुशी-चिंता लिखती अनुभव
हँसी के वचनों की भाषा
उमड़ती आँखों से निश्शब्द
जगे घट-घट भर स्वप्नागार
प्रिया की स्मृतियों के चंदन
प्राण के गाँवों के संबल
प्रीत की धरा, प्रणय अंबर
सृष्टि का कालजयी उत्सव।