भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चींटी किसकी / कविता वाचक्नवी
Kavita Kosh से
Kvachaknavee (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:04, 28 सितम्बर 2011 का अवतरण (वर्तनी व फॉर्मेट सुधार)
चींटी किसकी?
आँगन में
पूछा चिल्ला कर
" माँ ! चींटी राम की है या रावण की ? "
गिरे फंदे उठाती
दादी ने
कह दिया - " राम की ",
गर्मी में भागती चींटियों को
इतना पानी पिलाया मैंने
वे डूब गईं ।
अकस्मात् एक दिन
" रावण की " कहा माँ ने
और पैर पटक-पटक
मार दिया मैंने उन्हें ।
हे राम ! तुम्हारे नाम
कितनी चींटियाँ मारीं हमने
और रावण !
तुम्हारे नाम जाने कितनी !
बेकसूर थीं सारी
राम और रावण से जोड़
कभी प्यार से
कभी घृणा से
मारी गईं ।
फंदे उठाने वालो !
सोचो तो !!