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बिना विचारे जो करै / गिरिधर
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Vaibhav Kumar Nain (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:26, 15 जनवरी 2011 का अवतरण
बिना विचारे जो करै, सो पाछे पछिताय।
काम बिगारै आपनो, जग में होत हंसाय॥
जग में होत हंसाय, चित्त चित्त में चैन न पावै।
खान पान सन्मान, राग रंग मनहिं न भावै॥
कह 'गिरिधर कविराय, दु:ख कछु टरत न टारे।
खटकत है जिय मांहि, कियो जो बिना बिचारे॥