भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आब और विआ / शीन काफ़ निज़ाम
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:48, 22 अगस्त 2009 का अवतरण
पहाड़ी झरने के पास
सूख रहे हैं
कपड़े, असा<ref>सहारे के लिए हाथ में ली गई लकड़ी</ref> पर
विआ<ref>बर्तन</ref> में भरा है
आब
मछली जिसमें तैरती है
शब्दार्थ
<references/>