भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पहला और दूसरा व्यक्ति / शिवप्रसाद जोशी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:22, 6 अक्टूबर 2009 का अवतरण ("पहला और दूसरा व्यक्ति / शिवप्रसाद जोशी" सुरक्षित कर दिया [edit=sysop:move=sysop])
पहले व्यक्ति के बाद आती है
उसकी बारी
पहला व्यक्ति हमेशा पहले आता है
उसके फौरन बाद नहीं आता दूसरा व्यक्ति
वह आता है बहुत दूर से
जो पहली चीज़ आती है
पहले व्यक्ति के पास जाती है
कोई ज़रूरी नहीं हर दूसरी चीज़
दूसरे व्यक्ति को मिल जाए
पहले व्यक्ति के संतुष्ट होने तक
दूसरा रूकता है
या लौट जाता है
पहला व्यक्ति लपकता हुआ
दूसरे के घर जाता है
नमस्कार करता है
दूसरा व्यक्ति मुश्किल में पड़ जाता है
इस तरह यह समाज चलता है।