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कविता कोश में वर्तनी के मानक

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इस नये पन्ने पर कविता कोश में प्रयोग होने वाले वर्तनी सम्बंधी मानकों को तय किया जाएगा। जब तक मानक तय नहीं हो जाते -तब तक यह पन्ना सभी के द्वारा संशोधित किये जाने के लिये खुला रहेगा। मानकीकरण पूरा होने के बाद -इस पन्ने पर कोई बदलाव नहीं किया जा सकेगा। विशेष परिस्थितियों में केवल कविता कोश टीम ही इस पन्ने पर बदलाव कर पाएगी।

आप सभी से निवेदन है कि कोश में वर्तनी के मानकीकरण के बारे में अपने विचार इस पन्ने पर जोड़ें।

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~* वर्तनी के नियमों को समझने के लिए वर्णमाला को ठीक तरह से समझ लेना ज़रूरी है। इसलिए यहाँ पहले स्वर और व्यंजनों को क्रमानुसार दिया जा रहा है। इसको ठीक से समझ लें।

स्वर - अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ अं अः ये स्वर हैं। स्वरों की मा‌त्राएँ होती हैं जिनका प्रयोग व्यंजनों में किया जाता है। एक व्यंजन में एक समय में केवल ही मात्रा का प्रयोग किया जा सकता है। एक से अधिक मात्राओं का नहीं। ऊपर की बिंदी को अनुस्वार और दाहिनी ओर आने वाली बिंदी को विसर्ग कहते हैं।


सही / गलत वर्तनी

कंठ / कण्ठ

में / मेँ

जड़ / जड