भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उर तिमिरमय घर तिमिरमय / महादेवी वर्मा
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:20, 4 फ़रवरी 2010 का अवतरण (सजनि दीपक बार ले / महादेवी वर्मा का नाम बदलकर उर तिमिरमय घर तिमिरमय / महादेवी वर्मा कर दिया गया है)
उर तिमिरमय घर विमिरमय
चल सजनि दीपक बार ले!
राह में रो रो गये हैं
रात और विहान तेरे
काँच से टूटे पड़े यह
स्वप्न, भूलें, मान तेरे;
फूलप्रिय पथ शूलमय
पलकें बिछा सुकुमार ले!
तृषित जीवन में घिर घन-
बन; उड़े जो श्वास उर से;
पलक-सीपी में हुए मुक्ता
सुकोमल और बरसे;
मिट रहे नित धूलि में
तू गूँथ इनका हार ले !
मिलन वेला में अलस तू
सो गयी कुछ जाग कर जब,
फिर गया वह, स्वप्न में
मुस्कान अपनी आँक कर तब।
आ रही प्रतिध्वनि वही फिर
नींद का उपहार ले !
चल सजनि दीपक बार ले !