भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
संरचना / शिवप्रसाद जोशी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:29, 13 दिसम्बर 2009 का अवतरण ("संरचना / शिवप्रसाद जोशी" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
(रूसी लेखक मिख़ाइल बुल्गाकोफ़ के उपन्यास 'मास्टर और मर्गारिता' की याद में)
पानी से भी ख़ामोश
और घास से भी छोटा
होता है प्रेम
सच्चा अगर हो तो
हवा से भी ऊँचा
और आग से भी तेज़
होता है वो
एक आकाश
मनुष्य के भीतर
उसके न रहने पर भी रहता है हमेशा
सच्चा अगर होता है प्रेम।