भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शाम से पहले / संज्ञा सिंह

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:21, 18 दिसम्बर 2009 का अवतरण ("शाम से पहले / संज्ञा सिंह" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

धूप उतरने वाली है
चिड़िया के चहचहाने की आवाज़ है यह

चिड़िया के चोंच में
कोई सन्देश है तुम्हारे लिए

मुमकिन है
हो जाए वह शाम से पहले
किसी बाज़ का शिकार
और न ला पाए
कोई सन्देश किसी के लिए
कल


रचनाकाल : 1995, विदिशा