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बलि-बलि जाऊँ / श्रीधर पाठक
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1.
भारत पै सैयाँ मैं बलि-बलि जाऊँ
बलि-बलि जाऊँ हियरा लगाऊँ
हरवा बनाऊँ घरवा सजाऊँ
मेरे जियरवा का, तन का, जिगरवा का
मन का, मँदिरवा का प्यारा बसैया
मैं बलि-बलि जाऊँ
भारत पै सैयाँ मैं बलि-बलि जाऊँ
2.
भोली-भोली बतियाँ, साँवली सुरतिया
काली-काली ज़ुल्फ़ोंवाली मोहनी मुरतिया
मेरे नगरवा का, मेरे डगरवा का
मेरे अँगनवा का, क्वारा कन्हैया
मैं बलि-बलि जाऊँ
भारत पै सैयाँ मैं बलि-बलि जाऊँ