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जय जय राजस्थान / राजस्थानी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

goraM dhoMरा री धरती रो

पिचरंग पाडा री धरती रो , पीतल पातल री धरती रो, मीरा करमा री धरती रो

कित्रो कित्रो रे करा म्हें वखाण, कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान ...

dar kuMcaa भई dar maMjalaa

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dar maMjalaa भई dar maMjalaa

कोटा बूंदी भलो भरतपुर अलवर अर अजमेर

पुष्कर तीरथ बड़ो की जिणरी महिमा चारूं मेर

दे अजमेर शरीफ औलिया नित सत्रों फरमान

रे कित्रो कित्रो रे करा म्हें वखाण, कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान....


dar kuMcaa भई dar maMjalaa

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dar maMjalaa भई dar maMjalaa


दसो दिसावा में गूंजे रे मीरा रो गुण गान

हल्दीघाटी अर प्रताप रे तप पर जग कुरबान

चेतक अर चित्तोड़ पे सारे जग ने है अभिमान

कित्रो कित्रो रे करा म्हें वखाण, कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान


dar kuMcaa भई dar maMjalaa

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उदियापूर में एकलिंगजी गणपति रंथमभोर

जैपूर में आमेर भवानी जोधाणे मंडोर

बिकाणे में करणी माता राठोडा री शान

कित्रो कित्रो रे करा म्हें वखान कण कण सून गूंजे जय जय राजस्थान


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आबू छत्तर तो सीमा रो रक्षक जैसलमेर

किर्ने गढ़ रा परkoटा है बांका घेर घूमेर

घर घर गूंजे मेड़तणी मीरा रा मीठा गान

कित्रो कित्रो रे करा म्हें वखाण, कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान


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रानी सती री शेखावाटी जंगल मंगल करणी

खाटू वाले श्याम धणी री महिमा जाए न बरणी

करणी बरणी रोज चलावे बायेड़ री संतान

कित्रो कित्रो रे करा म्हें वखाण, कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान


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गोगा बाबु, तेजो दादू , झाम्बोजी री वाणी

रामदेव की परचारी लीला किण सूं अनजानी

जैमल पता भामाशा री आ धरती है खान

कित्रो कित्रो रे करा म्हें वखाण, कण कण सूं गूंजे, जय जय राजस्थान


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