यात्रा के बाद भी
पथ साथ रहते हैं।
हमारे साथ रहते हैं।
खेत खम्भे-तार
सहसा टूट जाते हैं,
हमारे साथ के सब लोग
हमसे छूट जाते हैं,
मगर
फिर भी
हमारी बाँह-गर्दन-पीठ को
छूते
गरम दो हाथ रहते हैं।
यात्रा के बाद भी
पथ साथ रहते हैं।
हमारे साथ रहते हैं।
खेत खम्भे-तार
सहसा टूट जाते हैं,
हमारे साथ के सब लोग
हमसे छूट जाते हैं,
मगर
फिर भी
हमारी बाँह-गर्दन-पीठ को
छूते
गरम दो हाथ रहते हैं।