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शेर अपने बिल में / उद्‌भ्रान्त

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चूहा
अपने बिल में
शेर की तरह
बेखौफ़

ताव देता
मूँछो पर

वक़्त-बेवक़्त
गुर्राता

ज़रूरत पड़ने पर
मारे दहाड़

चुहिया ने
ललकारा
मर्दानगी को

निकला छाती फुलाए
अकड़ाए हुए गर्दन
पूरी ऐंठ के साथ

दूर से ही
दिखी झलक
काल-बिलौटे की

बब्बर शेर
वापस अपने
बिल में।


रचनाकाल : 21 नवम्बर 2005