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घर-बाहर / चंद्र रेखा ढडवाल
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स्कूल
अस्पताल
दफ़्तर
काम करते हुए कहीं भी
या चलते हुए सड़क पर
मैं औरत होती हूँ
झाड़ते-पोंछते
बर्तन-भांडा करते
उधड़ा हुआ सिल्स्ते
राँधते-पकाते घर में
माँ होती हूँ