भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दोस्ती / गुड़िया हमसे रूठी रहोगी
Kavita Kosh से
Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:58, 20 मार्च 2010 का अवतरण (गुडिया हमसे रूठी रहोगी / दोस्ती का नाम बदलकर दोस्ती / गुड़िया हमसे रूठी रहोगी कर दिया गया है)
रचनाकार: मजरूह सुल्तानपुरी |
गुड़िया, हमसे रूठी रहोगी
कब तक, न हँसोगी
देखो जी, किरन सी लहराई
आई रे आई रे हँसी आई
गुड़िया ...
झुकी-झुकी पलकों में आ के
देखो गुपचुप आँखों से झाँके
तुम्हारी हँसी
फिर भी, अँखियाँ बन्द करोगी
गुड़िया ...
अभी-अभी आँखों से छलके
कुछ-कुछ होंठों पे झलके
तुम्हारी हँसी
फिर भी, मुख पे हाथ धरोगी
गुड़िया ...