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छठे तत्व के कारण / कुमार सुरेश

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एक दिन सब कुछ बदल जायेगा
लोग दिखाई देते हैं वे सभी
समुद्र आसमान धरती
सारा आँख भर परिदृश्य

नदियाँ भाप बन जाएँगी
जमीं आग
आसमान काला रंग जायेगा
हम बदल जाएंगे
मूल तत्वों मैं

प्रेम बदल जाएगा
चुम्बक या ब्लैक होल में

लेकिन यह तय है
किसी न किसी रूप में
बाक़ी रहेगे पानी धरती आकाश हवा आग
और प्रेम
कुछ भी कभी नष्ट नहीं होता

पञ्च तत्वों के सयोंग से प्रेम
सृजित कर लेगा नयी सृष्टि
इस छठे तत्व के कारण
सब कुछ पहले-सा हो जायेगा एक दिन