भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
स्वतः स्फूर्त / सू शि
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:30, 15 मई 2010 का अवतरण
|
पूर्वी ढलान पर
एक अकेला बूढ़ा
सफ़ेद केश
झूलते हवा में
मेरा बेटा
प्रसन्न
मेरा सुर्ख़ चेहरा देख कर
मुस्कराता हूँ मैं
यह तो है
मदिरा का असर
मूल चीनी भाषा से अनुवाद : त्रिनेत्र जोशी