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किसी क्षण / मुकेश मानस
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मर गई चाची
जैसे मरते हैं और लोग
मर जाएंगे वो सब
जिनके साथ
मैं आज खेलता हूँ
लड़ता-झगड़ता हूँ
जिन्हें खूब प्यार करता हूँ
एक दिन
मर जाऊंगा मैं भी
जैसे मर जाएंगे बाकी लोग
1985