भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जीवन-साथी से / परवीन शाकिर

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:20, 16 जून 2010 का अवतरण ("जीवन-साथी से / परवीन शाकिर" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

धूप में बारिश होते देख के
हैरत करने वाले !
शायद तूने मेरी हँसी को
छूकर
कभी नहीं देखा !