भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शनि मंदिर में / मनोज श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
					Dr. Manoj Srivastav  (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:49, 22 जून 2010 का अवतरण
शनि मंदिर में...
आते हैं यहाँ ऐन शनिवार के दिन 
सभी समाजों के छूट-अछूत जन
बाम्भन-चमार, लुच्चे-लफंगे 
पापी-पुण्यात्मा, पीर-महात्मा
छोटे-बड़े नेता-अभिनेता
अफसर-बाबू, मवाली-बदमाश
बनिया-बक्काल, ज़माखोर-मुनाफाखोर
लम्पट-लावारिस, आशिक-गुंडे 
अंडरवर्ल्ड  के डान-गुर्गे 
छिनाल-हरजाई, चोर-उचक्के
 
	
	

