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तीन बुलाए तेरह आवैं / भारतेंदु हरिश्चंद्र

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तीन बुलाए तेरह आवैं ।
निज निज बिपता रोइ सुनावैं ।
आँखौ फूटे भरा न पेट ।
क्यों सखि सज्जन नहिं ग्रैजुएट ।