भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हम दोनों फिर मिले / अशोक लव

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:16, 9 अगस्त 2010 का अवतरण (हम दोनों फिर मिले/ अशोक लव का नाम बदलकर हम दोनों फिर मिले / अशोक लव कर दिया गया है)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आज मेरा दोस्त मुझसे लिपटकर
खूब हँसा

हमने महीनो बाद खाए
रामेश्वर के गोलगप्पे
हमने महीनो बाद खायी
आतिफ की दूकान से
देसी घी की गर्म-गर्म जलेबियाँ

आज न ईद थी
आज न होली थी
फिर भी लगा आज कोई त्योहार था

आज उसने मस्जिद की बातें नहीं की
आज मैंने मंदिर कीई बातें नहीं की
आज हमने राजनीती की बातें नहीं की

उसने महीनो बाद
मेरी पत्नी के हाथ के हाथ की बनी
मक्की की रोटी खाने की फरमाईश की
मैंने सबीना भाभी के परांठों का जिक्र किया

हम दोनों ने महीनो बाद
बच्चों के बारे में बातें की
हम दोनों ने आज जी भरकर
सियासतदानो को गालियाँ दी