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दूब / शमशेर बहादुर सिंह

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मोटी, धुली लॉन की दूब,
साफ़ मखमल की कालीन
ठंडी धुली सुनहरी धूप

हलकी मीठी चा-सा दिन,
मीठी चुस्की-सी बातें,
मुलायम बाहों-सा अपनाव

पलकों पर हौले-हौले
तुम्हारे फूल से पाँव
मानो भूलकर पड़ते
हृदय के सपनों पर मेरे
अकेला हूँ आओ