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बता बेकळू / ओम पुरोहित ‘कागद’
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कदै’ई तपै
कदै’ई ठरै
कदै’ई उड-उड घिरै !
बता बेकळू
थारै काळजै मांय
किण बात नै लेय’र
उठा पटक है ?
क्यूं उठै
भतूळियो बण
कड़कड़ी खाय’र
आभै रा
गाभा फाड़ण
अर क्यूं पाछी आ सोवै
सागी ठिकाणै ?