भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भूल जावूं / सांवर दइया

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:09, 27 नवम्बर 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तिस भूल जावूं
भूख भूल जावूं
आंख रो आंसू आवै चेतै कणा
हिवड़ै री हूक भूल जावूं

हार भूल जावूं
जीत भूल जावूं
बैर भूल जावूं
प्रीत भूल जावूं

भूल जावूं
एड़ै-छैड़ै बळतो संसार
मांय-रो-मांय
गळतो-सड़तो संसार

और तो और
भूल जावूं खुद रो नाम
परदै माथै देखूं जद
नाचता-गावता नागा-अधनागा
ऐ रूड़ा-रूपाळा चितराम !