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रोज़ समय का चाकू / हेमन्त शेष

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रोज़ समय का चाकू

हमारा दुनिया का सेब चीरता है

घिरते हुए शोक की पौष्टिकता में

हम प्रफुल्लित होते हैं

दोनों एक से हैं-- स्वास्थ्य और बीमारी

चाकू के सामने

कटती हुई दुनिया में