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जय हो, हे हिन्दी उद्धारक! / गुलाब खंडेलवाल

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भारत-रत्न श्री पुरुषोत्तमदास टंडन

जय हो, हे हिन्दी उद्धारक!
राष्ट्रव्रती! राजर्षि! राष्ट्रभाषा  के मंत्रोच्चारक!
. . .
चिंता मत करना, आँधी से पर्वत नहीं हिलेंगे
जहाँ बहा है खून तुम्हारा वहां गुलाब खिलेंगे
इस फौलादी वक्ष:स्थल पर सब आघात झिलेंगे
निश्चय कभी सूर-तुलसी से ग़ालिब-मीर मिलेंगे
हिन्दी को हम बना सकेंगे सही तुम्हारा स्मारक

जय हो, हे हिन्दी उद्धारक!
राष्ट्रव्रती! राजर्षि! राष्ट्रभाषा  के मंत्रोच्चारक!