भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
स्वागत सौ सौ बार पतन का ! / महावीर शर्मा
Kavita Kosh से
Mahavir Sharma (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:38, 10 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: '''स्वागत सौ सौ बार पतन का !''' यदि मेरा अधःपतन तेरे इस जीवन का आधार...)
स्वागत सौ सौ बार पतन का ! यदि मेरा अधःपतन तेरे इस जीवन का आधार बने तो, स्वागत सौ सौ बार पतन का ! यदि जीवन के घोर शमन से, मानव का इतिहास बने तो, स्वागत सौ सौ बार शमन का ! मैं ने देखे हैं वे मानव, ऊंचे महलों में रहते हैं, बड़े गर्व से जिन्हें सभी, उद्योग-पति ही कहते हैं, मखमल के फर्शों पर चलते, थकने का जिनको भान नहीं, दानी और श्रीमान बिना, होता जिनका सम्मान नहीं, धन की मदिरा में मस्त बने, आता न कभी विचार गमन का । स्वागत सौ सौ बार पतन का ! वे मानव भी देखे मैं ने, जो फ़ुट पाथों पर रहते हैं, नफ़रत से आंखें फेर जिन्हें, सब भिखमंगा ही कहते हैं, पावों से रिसता रक्त , भूख से आंखों में दम आता है, बोल निकलता नहीं मगर, “बाबा पैसा” चिल्लाता है, मरने पर लाश पड़ी नंगी है, नहीं वहां कुछ काम कफ़न का! स्वागत सौ सौ बार पतन का !!
महावीर शर्मा