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दस की भरी तिजोरी / कैलाश गौतम

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सौ में दस की भरी तिजोरी नब्बे खाली पेट झुग्गीवाला देख रहा है साठ लाख का गेट ।

बहुत बुरा है आज देश में लोकतंत्र का हाल कुत्ते खींच रहे हैं देखो कामधेनु की खाल

     हत्या, रेप, डकैती, दंगा
     हर धंधे का रेट ।

बिकती है नौकरी यहाँ पर बिकता है सम्मान आँख मूँद कर उसी घाट पर भाग रहे यजमान

     जाली वीज़ा पासपोर्ट है
     जाली सर्टिफ़िकेट ।

लोग देश में खेल रहे हैं कैसे कैसे खेल एक हाथ में खुला लाइटर एक हाथ में तेल

     चाहें तो मिनटों में कर दें
     सब कुछ मटियामेट ।

अंधी है सरकार-व्यवस्था अंधा है कानून कुर्सीवाला देश बेचता रिक्शेवाला ख़ून

     जिसकी उंगली है रिमोट पर
     वो है सबसे ग्रेट ।

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