Last modified on 7 जून 2007, at 00:03

यहाँ थी वह नदी / मंगलेश डबराल

Hemendrakumarrai (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 00:03, 7 जून 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} रचनाकारः [[मंगलेश डबराल] Category:कविताएँ Category:मंगलेश डबराल ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

रचनाकारः [[मंगलेश डबराल]

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~

जल्दी से वह पहुँचना चाहती थी
उस जगह जहां एक आदमी
उसके पानी में नहाने जा रहा था
एक नाव
लोगों का इंतज़ार कर रही थी
और पक्षियों की कतार
आ रही थी पानी की खोज में

बचपन की उस नदी में
हम अपने चेहरे देखते थे हिलते हुए
उसके किनारे थे हमारे घर
हमेशा उफनती
अपने तटों और पत्थरों को प्यार करती
उस नदी से शुरू होते थे दिन
उसकी आवाज़
तमाम खिड़कियों पर सुनायी देती थी
लहरें दरवाज़ों को थपथपाती थीं
बुलाती हुईं लगातार

हमे याद है
यहाँ थी वह नदी इसी रेत में
जहाँ हमारे चेहरे हिलते थे
यहाँ थी वह नाव इंतज़ार करती हुई

अब वहाँ कुछ नहीं है
सिर्फ रात को जब लोग नींद में होते हैं
कभी-कभी एक आवाज़ सुनायी देती है रेत से