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लेनिन / केदारनाथ अग्रवाल

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लेनिन
एक व्यक्ति था पहले,
नामों में एक नाम था पहले,
सबकी जबान पर चढ़ा।

लेनिन
अब हो चुका है
अवनी और आकाश-
पवन-पानी और प्रकाश।
लेनिन
नहीं है-नहीं है
पत्थर की एक मूर्त्ति,
तोड़ दे जिसे कोई

लेनिन
नहीं है-नहीं है
एक रेखांकित एक चित्र,
फाड़ दे जिसे कोई।

लेनिन
सूर्य है सूर्य
सत्य की रश्मियों का
सूर्य,
असत्य को भेद रहा
सूर्य!

रचनाकाल: २१-०१-१९९१