भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ये मैं हूं / राजेश चड्ढ़ा

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:16, 1 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेश चड्ढ़ा |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}}<poem>मेरे दोस्त- ये म…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरे दोस्त-
ये मैं हूं ।
मेरे
पैरों के नीचे
कभी-कभी,
ज़मीन नहीं
बर्फ़ रहती है ।
मुझ में भी
नदी बहती है,
बर्फ़ की एक परत
उस पर भी
जमी रहती है ।
लेकिन-
इन सब के
बावजूद,
मेरे और बर्फ़
के भीतर-
नमी रहती है ।
मेरे दोस्त-
ये मैं हूं ।