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Lotus-48x48.png  सप्ताह की कविता   शीर्षक : घोटाले करने की शायद दिल्ली को बीमारी है
  रचनाकार: सिराज फ़ैसल ख़ान
घोटाले करने की शायद दिल्ली को बीमारी है
रपट लिखाने मत जाना तुम ये धंधा सरकारी है ।

तुमको पत्थर मारेंगे सब रुसवा तुम हो जाओगे
मुझसे मिलने मत आओ मुझपे फतवा जारी है ।

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में सब भाई हैं 
इस चक्कर मेँ मत पड़िएगा ये दावा अख़बारी है ।

भारतवासी कुछ दिन से रूखी रोटी खाते हैं 
पानी पीकर जीते हैं महँगी  सब तरकारी है ।

जीना है तो झूठ भी बोलो घुमा-फिरा कर बात करो
केवल सच्ची बातें करना बहुत बड़ी बीमारी है ।