भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

यकीन / मनमोहन

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:32, 6 नवम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनमोहन |संग्रह= }} <poem> एक दिन किया जाएगा हिसाब जो क...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक दिन किया जाएगा हिसाब
जो कभी रखा नहीं गया

हिसाब
एक दिन सामने आएगा

जो बीच में ही चले गए
और अपनी कह नहीं सके
आएंगे और
अपनी पूरी कहेंगे

जो लुप्त हो गया अधूरा नक्शा
फिर खोजा जाएगा