भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
रावण वध / श्याम बिहारी श्यामल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:14, 1 अप्रैल 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्याम बिहारी श्यामल |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> उर्ध्व …)
उर्ध्व होकर
सागर तट पर
मैंने मारा चाँटा
टूट गया
टूट गया
सदियों का सन्नाटा