भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वसंत / उदय प्रकाश

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:29, 27 जून 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उदय प्रकाश }} रेल गाड़ी आती है और बिना रुके चली जाती है...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


रेल गाड़ी आती है

और बिना रुके

चली जाती है ।


जंगल में

पलाश का एक गार्ड

लाल झंडियाँ

दिखाता रह जाता है.