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किस अदा से वो मेरे दिल में उतर आता है! / गुलाब खंडेलवाल

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किस अदा से वो मेरे दिल में उतर जाता है!
जीतकर जैसे जुआरी कोई घर आता है

लाख हमसे कोई आँखें चुरा रहा है, मगर
प्यार का रंग निगाहों में उभर आता है

हमने देखा है किनारा किसी के आँचल का
जब कहीं कोई किनारा न नज़र आता है

साथ छूटा है हरेक प्यार के राही का जहाँ
एक इस राह में ऐसा भी शहर आता है

खुद ही माना कि फँसे दौड़के काँटों में गुलाब
कुछ तो इल्जाम मगर आपके सर आता है