भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक हरी कविता / मणिका दास

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:29, 12 जनवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मणिका दास |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} Category:असमिया भाषा <poem> …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरे खाली सीने में उगी है
एक हरी कविता

चुपके से बढ़ती है
उसकी जड़ें
सुबह-शाम-रात

मूल असमिया से अनुवाद : दिनकर कुमार