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कन्हैया लाल सेठिया / परिचय

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महाकवि श्री कन्हैयालाल सेठिया

जन्म : 11 सितम्बर 1919 को सुजानगढ़ (राजस्थान) में
पिता-माता : स्वर्गीय छगनमलजी सेठिया एवं मनोहरी देवी
विवाह : 1937 में श्रीमती धापू देवी के साथ।
सन्तान : दो पुत्र- जयप्रकाश एवं विनयप्रकाश तथा एक पुत्री श्रीमती सम्पत देवी दूगड़
अध्ययन : बी.ए.
निधन : 11 नवंबर 2008

राजस्थानी भाषा के प्रसिद्ध कवि है। जन्म राजस्थान के चूरु जिले के सुजानगढ़ शहर में हुआ।
कुछ कृतियाँ है:- रमणियां रा सोरठा , गळगचिया , मींझर , कूंकंऊ , लीलटांस , धर कूंचा धर मंजळां , मायड़ रो हेलो , सबद , सतवाणी , अघरीकाळ , दीठ , क क्को कोड रो , लीकलकोळिया एवं हेमाणी ।
पद्मश्री (2004) सेठिया जी को लीलटांस राजस्थानी कविता संग्रह पर साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली का पुरस्कार प्रदान किया गया तथा वर्ष 1988 में ज्ञानपीठ के मूर्तिदेवी साहित्य पुरास्कार से भी सम्मानित किया गया। आ तो सुरगा नै सरमावै, ई पै देव रमन नै आवे .......... धरती धोराँ री हो अथवा अरे घास री रोटी ही जद बन बिलावडो ले भाग्यो....जैसी अनेक रचनाएं अति लोकप्रिय और सर्वविदित अमर रचनाएं हैं।

सम्मान, पुरस्कार एवं अलंकरण
स्वतन्त्रता संग्रामी, समाज सुधारक, दार्शनिक तथा राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के कवि एवं लेखक के नाते आपको अनेक सम्मान, पुरस्कार एवं अलंकरण प्राप्त हैं जिनमें प्रमुख हैं -1976 ई. : राजस्थानी काव्यकृति 'लीलटांस` साहित्य अकादमी, नई दिल्ली द्वारा राजस्थानी भाषा की सर्वश्रेष्ठ कृति के नाते पुरस्कृत।
1979 ई. : हैदराबाद के राजस्थानी समाज द्वारा मायड़ भाषा की मान्यता हेतु संघर्ष के लिए सम्मानित। मायड़ भाषा को जीवन्त रखने की प्रेरणा दी।
1981 ई : राजस्थानी की उत्कृष्ट रचनाओं हेतु लोक संस्कृति शोध संस्थान, चूरू द्वारा 'डॉ. तेस्सीतोरी स्मृति स्वर्ण पदक` सम्मान प्रदत्त।
1982 ई. : विवेक संस्थान, कलकत्ता द्वारा उत्कृष्ट साहित्य सृजन के लिए 'पूनमचन्द भूतोड़िया पुरस्कार` से पुरस्कृत।
1983 ई. : राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर द्वारा सर्वोच्च सम्मान 'साहित्य मनीषी` की उपाधि से अलंकृत। 'मधुमति` मासिक का श्री सेठिया की काव्य यात्रा पर विशेषांक एवं पुस्तक भी प्रकाशित।
1983 ई. : हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग द्वारा 'साहित्य वाचस्पति` की उपाधि से अलंकृत।
1984 ई. : राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर द्वारा अपनी सर्वोच्च उपाधि 'साहित्य मनीषी` से विभूषित।
1987 ई. : राजस्थानी काव्यकृति 'सबद` पर राजस्थानी अकादमी का सर्वोच्च 'सूर्यमल मिश्रण शिखर पुरस्कार` प्रदत्त।
1988 ई. : हिन्दी काव्यकृति 'निर्ग्रन्थ` पर भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली द्वारा 'मूर्तिदेवी साहित्य पुरस्कार` प्रदत्त।
1989 ई. : राजस्थानी काव्यकृति 'सत् वाणी` हेतु भारतीय भाषा परिषद्, कोलकाता द्वारा 'टांटिया पुरस्कार` से सम्मानित।
1989 ई. : राजस्थानी वेलफेयर एसोशियेसन, मुंबई द्वारा 'नाहर सम्मान`।
1990 ई. : मित्र मन्दिर, कलकत्ता द्वारा उत्तम साहित्य सृजन हेतु सम्मानित।
1992 ई. : राजस्थान सरकार द्वारा 'स्वतन्त्रता सेनानी` का ताम्रपत्र प्रदत्त कर सम्मानित।
1997 ई. : रामनिवास आशादेवी लखोटिया ट्रस्ट, नई दिल्ली द्वारा 'लखोटिया पुरस्कार` से विभूषित।
1997 ई. : हैदराबाद के राजस्थानी समाज द्वारा मायड़ भाष की सेवा हेतु सम्मानित।
1998 ई. : 80 वें जन्म दिन पर डॉ. प्रतापचन्द्र चन्दर की अध्यक्षता में पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर तथा अन्य अनेक विशिष्ट व्यक्तियों द्वारा सम्मानित।
2004 ई. : राजस्थानी भाषा संस्कृति एवं साहित्य अकादमी बीकानेर द्वारा राजस्थानी भाषा की उन्नति में योगदान हेतु सर्वोच्च सम्मान 'पृथ्वीराज राठौड़ पुरस्कार` से सम्मानित।
2005 ई. : राजस्थान फाउन्डेशन, कोलकाता चेप्टर द्वारा 'प्रवासी प्रतिभा पुरस्कार` से सम्मानित। एक लाख रुपये की पुरस्कार राशि राजस्थानी भाषा के कार्य में लगाने हेतु फाउन्डेशन को लौटा दी जिसे फाउन्डेशन ने राजस्थान परिषद को इस हेतु समर्पित किया।
2005 ई : राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा पी.एच.डी. की मानद उपाधि प्रदत्त।