भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तल्लीन / वंशी माहेश्वरी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:25, 18 सितम्बर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वंशी माहेश्वरी |संग्रह=आवाज़ इतनी पहचानी कि लगी अपनी }}...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बच्चे खिलाती उस

लड़की के सिलसिलेमें

मेरा ख़्याल

उस की मुद्राओं में उड़ता है


मैं उस में पहुँचने की कोशिश करता हूँ

सिर्फ़ कोशिश उड़ती है